अहंकारी धनुर्धारी
महेश पठाडे rhythm00779@gmail.com Mob. 8087564549 प्रियदर्शनजी संवेदनशील मन के एक प्रतिभाशाली कवि है। मैने जादातर मराठी साहित्यही पढा है। लेकिन हिंदी साहित्य पढने की रुची प्रियदर्शनजी जैसे कवि, साहित्यकारोंने बढाई है। ‘अहंकारी धनुर्धारी’ यह उनके संवेदनशील भावना का एक अच्छा उदाहरण है। जब मैने ये कविता पढ़ी, तो कुछ क्षण सोच में डुबा। अर्जुन का मतलब एकाग्रता है, वीरश्री है, एक आदर्श शिष्य है, छात्र है, अर्जुन सब से सर्वश्रेष्ठ है... लेकिन अर्जुन अहंकारी भी है ये कभी सोचा नहीं था। लेकिन प्रियदर्शनजी ने अर्जुन के दूसरे स्वभाव को उजागर किया है, जो हमारी सारी पुरानी संकल्पनाओं को छेद देता है। उन्होने अर्जुन के नकारात्मक पक्ष को प्रकाश में लाया है। हमें वह कथा दुबारा पढनी चाहिए, जिस पर प्रियदर्शनजी ने अहंकारी धनुर्धर कविता लिखी है। क्योंकि यह कहानी हम सभी ने कहीं न कहीं पढी है, सुनी है। यह कहानी एक शिष्य या छात्र का सबसे अच्छा उदाहरण देकर हमारे जहन में बस गयी है। लेकिन प्रियदर्शनजी की कविता पढ़ने के बाद हमें दूसरी सीख भी मिलती है, जिसके बारे में हमे कभी भी बताया गया नही, या हमन