शायद कभी ख़्वाबों में मिलें...
फिदाभाई का कबड्डी खेलना कुरैशी खानदान में बडा अजीब था। क्योंकि फिदाभाई के खानदान में आज तक कोई खिलाडी नहीं हुआ, वो भी कबड्डी का! उन के खानदान तो संगीत कला से जुडा था। सुरों के अलावा उनके घर में और किसी के बारे में सोचना भी खानदान की परंपरा उल्लंघन होगा। महेश पठाडे rhythm00779@gmail.com Mob. 8087564549 “तुम्हारे इतने सारे दोस्त है... तुम्हे उनके नाम भी याद है क्या?” जवानी में कदम रखने वाले फिदाभाई को उनके पिताजी ने एक दिन ये सवाल पूछा... फिदाभाई सीर्फ मुस्कुराये और चल दिये। लेकिन जब फिदाभाई ने अंतिम सांस ली तब पूना स्थित मोमीनपूरा के कब्रस्तान में उनके पार्थिव शरीर के अन्तिम दर्शन पाने के लिये भीड उमड पडी। पूना के कब्रस्तान के इतिहास में पहिली बार इतनी भीड शायद ही किसी ने इससे पहले देखी होगी!! शायद उनके पिताजी के सवाल का यही जवाब होगा। लेकिन ये सब देखने के लिए पिताजी नहीं थे! एक खिलाडी, कोच रह चुके फिदाभाई का साथ जितना खिलाडीयों को मिला, उतना एक पिता के नाते उनके बच्चों को शायद ही कभी मिला हो. फिदाभाई का कबड्डी से नाता इतना गहरा था, कि आमिर, शदाफत, आफताब इन बच्चों के