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शायद कभी ख़्वाबों में मिलें...

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फिदाभाई का कबड्डी खेलना कुरैशी खानदान में बडा अजीब था। क्योंकि फिदाभाई के खानदान में आज तक कोई खिलाडी नहीं हुआ, वो भी कबड्डी का! उन के खानदान तो संगीत कला से जुडा था। सुरों के अलावा उनके घर में और किसी के बारे में सोचना भी खानदान की परंपरा उल्लंघन होगा।  महेश पठाडे rhythm00779@gmail.com Mob. 8087564549 “तुम्हारे इतने सारे दोस्त है... तुम्हे उनके नाम भी याद है क्या?” जवानी में कदम रखने वाले फिदाभाई को उनके पिताजी ने एक दिन ये सवाल पूछा... फिदाभाई सीर्फ मुस्कुराये और चल दिये। लेकिन जब फिदाभाई ने अंतिम सांस ली तब पूना स्थित मोमीनपूरा के कब्रस्तान में उनके पार्थिव शरीर के अन्तिम दर्शन पाने के लिये भीड उमड पडी। पूना के कब्रस्तान के इतिहास में पहिली बार इतनी भीड शायद ही किसी ने इससे पहले देखी होगी!! शायद उनके पिताजी के सवाल का यही जवाब होगा। लेकिन ये सब देखने के लिए पिताजी नहीं थे! एक खिलाडी, कोच रह चुके फिदाभाई का साथ जितना खिलाडीयों को मिला, उतना एक पिता के नाते उनके बच्चों को शायद ही कभी मिला हो. फिदाभाई का कबड्डी से नाता इतना गहरा था, कि आमिर, शदाफत, आफताब इन बच्चों के

अहंकारी धनुर्धारी

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महेश पठाडे rhythm00779@gmail.com Mob. 8087564549 प्रियदर्शनजी संवेदनशील मन के एक प्रतिभाशाली कवि है। मैने जादातर मराठी साहित्यही पढा है। लेकिन हिंदी साहित्य पढने की रुची प्रियदर्शनजी जैसे कवि, साहित्यकारोंने बढाई है। ‘अहंकारी धनुर्धारी’ यह उनके संवेदनशील भावना का एक अच्छा उदाहरण है। जब मैने ये कविता पढ़ी, तो कुछ क्षण सोच में डुबा। अर्जुन का मतलब एकाग्रता है, वीरश्री है, एक आदर्श शिष्य है, छात्र है, अर्जुन सब से सर्वश्रेष्ठ है... लेकिन अर्जुन अहंकारी भी है ये कभी सोचा नहीं था। लेकिन प्रियदर्शनजी ने अर्जुन के दूसरे स्वभाव को उजागर किया है, जो हमारी सारी पुरानी संकल्पनाओं को छेद देता है। उन्होने अर्जुन के नकारात्मक पक्ष को प्रकाश में लाया है।  हमें वह कथा दुबारा पढनी चाहिए, जिस पर प्रियदर्शनजी ने अहंकारी धनुर्धर कविता लिखी है। क्योंकि यह कहानी हम सभी ने कहीं न कहीं पढी है, सुनी है। यह कहानी एक शिष्य या छात्र का सबसे अच्छा उदाहरण देकर हमारे जहन में बस गयी है। लेकिन प्रियदर्शनजी की कविता पढ़ने के बाद हमें दूसरी सीख भी मिलती है, जिसके बारे में हमे कभी भी बताया गया नही, या हमन

शतरंज का स्टीफन हॉकिंग

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ब्रितानी के भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग ने सैद्धान्तिक ब्रह्मांड का रहस्य भेद किया। लेकिन एक शख्स ऐसा भी है कि जिसने शतरंज में पूरा ब्रह्मांड देखा… ये शतरंज का स्टीफन हॉकिंग है महाराष्ट्र के कोल्हापूर शहर का शैलेश नेर्लीकर, जो आज हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन उसकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेगी... महेश पठाडे rhythm00779@gmail.com Mob. 8087564549 स्टीफन हॉकिंग को देखकर मैं हैरान हो जाता था, की ये कैसा इन्सान है जिसका शरीर अचेतन है। उस कमजोर अवस्था में व्हीलचेयर पर बैठी उनकी प्यारीसी मु्स्कान देखकर करुणा और आश्चर्य ये दोनों भाव एकसाथ मन में उठते थे। ये शरीर की कौनसी अवस्था है जिसमें पूरे ब्रह्मांड का रहस्य भेद करने की ऊर्जा समाई है...? कहाँ से आती है ये ऊर्जा...? ब्रह्मांड के रहस्य से गहरा सवाल मेरे मन में उठ रहा था। ये सवाल स्टीफन हॉकिंग को बहुत लोगों ने शायद पूछा भी होगा और उन्होने उसका जवाब भी दिया होगा। लेकिन वो मेरी समझ के बाहर था। शायद वो मेरे बुद्धिब्रह्मांड से परे भी हो सकता है। लेकिन मैने ऐसा स्टीफन हॉकिंग देखा जिसने ब्रह्मांड शतरंज में देखा। शायद ब्रितानी के स्टीफ